November 21, 2024

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Haridwar Loksabha Seat low persantage of voting worry things for BJP 

Haridwar Loksabha Seat – शहरी इलाकों में कम वोटिंग से चिंता में नेता जी

Haridwar Loksabha Seat low persantage of voting worry things for BJP

 

हरिद्वार। 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने अपना फैसला एवं में कैद कर दिया है 2019 के मुकाबले इस बार मतदान का प्रतिशत कम होना किसी नए समीकरण की ओर इशारा करता हुआ नजर आ रहा है।

हरिद्वार लोकसभा सीट पर 59 फ़ीसदी मतदान हुआ अगर लोकसभा की विधानसभा वाइज मतदान प्रतिशत पर नजर डाले तो शहरी क्षेत्र में गिरता मतदान प्रतिशत बीजेपी के लिए चिंता का सबब जान पड़ता है वही ग्रामीण इलाकों में हुई बंपर वोटिंग ने बीजेपी की इस चिंता को और बढ़ा दिया है।

किस विधानसभा में कितना हुआ मतदान

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतदान के प्रतिशत के अनुसार हरिद्वार लोकसभा सीट पर सबसे अधिक हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा में वोटिंग हुई जहां हरिद्वार ग्रामीण – 73.21% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके अलावा भगवानपुर – 67.13%, बी एच ई एल – 60.00%, धर्मपुर – 50.80%, डोईवाला – 57.20%, हरिद्वार – 54.00%, झबरेड़ा – 64.13%, ज्वालापुर – 64.30%, खानपुर – 58.60%, लक्सर – 60.00%, मंगलौर – 61.30%, पीरान कलियर – 61.42%, ऋषिकेश – 51.30%, रूडकी – 51.30% कुल हरिद्वार लोकसभा 5 बजे तक – 59.01% मतदान हुआ।

शहरी क्षेत्र में कम मतदान प्रतिशत बीजेपी के लिए खतरे की घंटी!

भाजपा के गढ़ माने जाने वाले शहरी क्षेत्र में मतदान प्रतिशत कम रहना भाजपा के लिए चिंता का सबब बन सकता है। हरिद्वार शहर सीट पर 54.00%, बी एच ई एल – 60.00%, धर्मपुर – 50.80%, डोईवाला – 57.20%, ऋषिकेश – 51.30%, रूडकी – 51.30% मतदान स्थानीय विधायक पर सवाल खड़े करता नजरबा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार प्रवीन झा बताते है कि शहरी इलाकों में काम वोटिंग प्रतिशत इस बात की ओर इशारा करता हैं कि राममंदिर को लेकर मतदाताओं में उत्साह नहीं देखा गया। झा ने बताया कि यही वजह रही की धीमी गति से मतदान हुआ जबकि ग्रामीण क्षेत्र खासकर मुस्लिम इलाको में बंपर वोटिंग हुई जो भाजपा के लिए बड़ी चिंता हो सकती है।

उमेश और बसपा का सरेंडर!

चुनाव प्रचार में बड़े बड़े दावे करने वाली बसपा और केतली मतदान वाले दिन शांत दिखाई दी। लक्सर के वरिष्ठ पत्रकार श्याम राठी बताते है कि इलाके के वोटरों ने उमेश को लेकर उदासीनता बरती जबकि कई जगह ऐसी थी जनहा उमेश का बस्ता भी नही लगा।

बसपा को लेकर श्याम बताते है कि चुनाव वाले दिन यह साफ देखने को मिला की बसपा ने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर रखा था। ग्रामीण क्षेत्रों की विधान सभा की बंपर वोटिंग इस बात की तस्दीक भी करती दिखी।

बहरहाल मतदाताओं ने अपना फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है जिसका नतीजा चार जून को आयेगा। तब तक वोट प्रतिशत के इस आंकड़े को लेकर राजनीतिक दलों में माथापच्ची का दौर जारी रहेगा।

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