हरिद्वार, 7 अक्तूबर। गुरूकुल की 144 बीघा जमीन को लेकर गुरुकुल विश्वविद्यालय सुर्खियों में है इस बार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति और बिल्कुल बचाओ संघर्ष समिति ने गुरुकुल की इस भूमि पर दोबारा कब्जा किए जाने का अंदेशा जताया है।
शनिवार को पत्रकारों के साथ की गई वार्ता में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति ने 144 बीघा जमीन को खुर्दबुर्द नहीं होने दिए जाने का संकल्प दोहराया।
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2001 से इस 144 बीघा भूमि पर स्टे चला आ रहा है फिर अचानक गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति को इस पर इसके खुर्दबुर्द होने का अंदेशा कैसे हुआ यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
बहरहाल गुरुकुल के पूर्व कर्मचारी पेंशन को तरस रहे है उसका समाधान निकालने के बजाय गुरुकुल प्रशासन 23 साल से कई जगह से स्टे पर चली आ रही भूमि की चिंता कर रहे है।
जबकि मुख्य अधिष्ठाता दी एन शर्मा कहते है कि यह भूमि कन्ही भी नहीं जा सकती और न ही अब इसपर कब्जा किया जा सकता है।
उनका कहना है कि वो इस दुनिया से जाने से पहले इस भूमि को गुरुकुल में मिला कर जायेंगे।
आपको बता दे कि ये वही डी एन शर्मा है जिनके हस्ताक्षर से ही इस भूमि को बेचा गया था।
उनका कहना था कि उन्होंने उस समय के गुरुकुल के बड़े पदाधिकारियों के कहने पर ही यह किया था।
उन्होंने यह भी बताया कि इसमें उनके अलावा 12 अन्य लोगों के हस्ताक्षर भी है।
हालांकि सवाल के जवाब में ना तो विश्वविद्यालय के कुलपति और ना ही गुरुकुल बचाओ संघर्ष समिति कोई साक्ष्य पत्रकारों के सामने रख पाई।
कुलपति प्रोफसर सोमदेव शतांशु ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व विद्यालय की जमीन पर कुछ भूमाफिया कब्जाना चाहते हैं।
उन्होंने आशंका जतायी कि भूमाफिया शासन प्रशासन को भी गुमराह कर सकते हैं। पूर्व में भी कई बार भूमाफियाओं द्वारा विवि की जमीन को कब्जाने के उद्देश्य से तरह तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। विवि की जमीन को किसी भी सूरत में खुर्दबुर्द नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विवि के अस्तित्व को चुनौती देने वाले किसी भी प्रयास कर हरंसभव विरोध किया जाएगा। भूमाफियाओं के इरादों को सफल नहीं होने देंगे।
विवि की ख्याति लगातार तेजी से बढ़ रही है। वैदिक संस्कृति सभ्यता को देश दुनिया में विवि के माध्यम से फैलाया जा रहा है। प्रैसवार्ता में कुलसचिव सुनील कुमार, प्रोफसर श्रवण कुमार शर्मा, शशिकांत शर्मा, रजनीश भारद्वाज, हेमंत आत्रेय, महावीर यादव, प्रोफेसर प्रभात सैगर आदि मौजूद रहे।
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