Akhada parishad will work on to convert Shahi Snan as a Rajsi Snan
हरिद्वार। Mahakal ki Shahi Savari (महाकाल की शाही सवारी) से ‘शाही’ शब्द को हटाने की एम पी के मुख्यमंत्री मोहन यादव के बयान के बाद अब कुम्भ मेलों के शाही स्नान से भी शाही शब्द को हटाने की तैयारी शुरू हो गई है।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्रपुरी ने “शाही” शब्द को कुम्भ के शाही स्नान से भी हटाने के लिए कवायद शुरू कर दी है।

उन्होंने ‘शाही’ शब्द के मुगलकाल से शुरुवात होने की बात करते हुए कहा कि मुगल शासक अकबर के समय से कुम्भ के स्नान में इस शब्द का प्रचलन शुरू हुआ।
उन्होंने कहा कि इससे पहले कुम्भ के स्नान के लिए राजसी स्नान का प्रयोग किया जाता था।
श्रीमहन्त ने बताया कि बहुत जल्द ही सभी अखाड़ो को एकत्र कर प्रयाग राज में एक प्रस्ताव लाया जाएगा जिसमे शाही स्नान के स्थान पर राजसी स्नान के प्रयोग का प्रस्ताव पास किया जाएगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि यह प्रस्ताव केवल प्रयाग में ही नही अपितु हरिद्वार, उज्जैन ओर नासिक में मेला प्रशासन को दिया जाएगा।
पेशवाई का विकल्प ढूंढने की कवायद
शाही स्नान के स्थान पर राजसी स्नान करने की कवायद तो शुरू हो गई है लेकिन कुम्भ के ही बड़े आयोजन पेशवाई के विकल्प पर भी अखाड़ा परिषद विचार कर रहा है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी ने बताया कि Shahi स्नान की तरह ही कुम्भ में होने वाली अखडोकी पेशवाई के नाम को बदलने पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सभी अखाड़ो के साथ विचार विमर्श कर इसका उचित ओर सनातनी विकल्प की तलाश की जाएगी।
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