यूक्रेन-रूस विवाद में यूक्रेन में राह रहे भारतीयों को लेकर भारत मे अपनो को चिंता सताने लगी है।
उत्तराखंड में अभी तक जारी किए गए हेल्पलाइन से 97 परिजनों ने सरकार से संपर्क किया है।
आपको बता दे कि उत्तराखंड शासन ने हेल्पलाइन जारी कर दो वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी बना इस मामले में गंभीरता दिखाई है।
यूक्रेन में काफी संख्या में भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं और उनको तत्काल वहां से सुरक्षित बाहर निकालने की सरकार की ओर से कवायद की जा रही है। ऐसे में वहां रह रहे लोगों के परिजन काफी चिंतित है।
उत्तराखंड के भी कई युवा यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे हैं और उनके परिजन चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द अपने वतन वापस लौट आएं।
राजधानी देहरादून के कोरोनेशन अस्पताल में कार्यरत डाॅ. डीपी जोशी के बेटे अक्षत जोशी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। बालरोग विशेषज्ञ डीपी जोशी भी अपने बेटे अक्षत को लेकर चिंतित हैं।
देहरादून के हाथीबड़कला केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका रश्मि बिष्ट का बेटा सूर्यांश सिंह बिष्ट यूक्रेन के लिवीव मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।
सूर्यांश के परिजन भी अपने बेटे को लेकर काफी चिंतित हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उनके बेटे को सुरक्षित वापस लाया जाए। हालांकि इस बीच उत्तराखंड सरकार ने भी पहल तेज कर दी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर प्रमुख सचिव गृह आरके सुधांशु ने निर्देश जारी किया है।
जिसके तहत सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को कहा गया है कि वह अपने-अपने जिलों का डाटा एकत्र करें कि वहां से कौन-कौन से लोग यूक्रेन में रह रहे हैं।
उनके नाम पता के साथ-साथ यूक्रेन का भी पूरा पता एकत्र किया जाए। डाटा मिलने के बाद शासन इस पर केंद्र सरकार से मिलकर जल्द कार्यवाही करेगा।
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