30 साल बाद ही सही रामपुर तिराहा कांड में कोर्ट का फैसला आ ही गया। पांच मार्च को पूरी हुई मामले की सुनवाई में शुक्रवार को दो सिपाहियों को दोषी करार दे दिया गया।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान रामपुर तिराहा मुजफ्फरनगर गोलीकांड के मामले में न्यायालय ने दो पीएसी के सिपाहियों को दोषी करार दिया है अब सजा पर 18 मार्च को फैसला होगा।
ख़ास खबर अपने बेटे के टेंडर न निकलने पर भड़क गए बीजेपी विधायक
आरोपी सिपाहियों पर आंदोलनकारी महिलाओं के साथ गैंगरेप सहित कई गंभीर आरोप थे।
इस मामले में 30 सालों का वक्त लग गया। बात अक्टूबर 1994 की है जब राज्य आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा में फायरिंग हुई , इस दौरान 7 आंदोलनकारियों की मौत हुई थी।
राज्य आंदोलनकारियों ने इस फ़ैसले पर न्यायालय का आभार जताया है। राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती का कहना है कि हम पिछले 30 सालों से 2 अक्टूबर को काला दिवस मनाते हैं , और आज न्यायालय के आदेश से सभी राज्य आंदोलनकारियों व शहीदों के परिवारों को राहत मिली है।
More Stories
बड़े खिलाड़ियों के लिए छात्रवृत्ति में मिलेंगे 2000 महीना, तारीख घोषित
वादे के पक्के उमेश कुमार, बच्चो को कराई मुंबई की सैर
खिलाड़ियों को एसी बस और ट्रेन के थर्ड एसी कोच में यात्रा की सुविधा