हरिद्वार। हरिद्वार जमीन घोटाला में को लेकर सस्पेंड किये गए अधिकारियों के समर्थन में आवाज उठाने लगी है।
हरिद्वार के एडवोकेट अरुण अरुण भदौरिया व कमल भदोरिया एडवोकेट ने सीएम धामी को पत्र लिखकर उनका सस्पेंसन निरस्त करने की मांग की है।
उन्होंने तीनो अधिकारियों के पक्ष में यह पत्र मुख्यसचिव ओर प्रमुख सचिव को भी भेजा है।
मुझयमंत्री को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सराय के पास जमीन की खरीद घोटाले के आरोपो को लेकर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान के
द्वारा जो जांच राज्य सरकार को दी गई वह जांच अत्यंत जल्दबाजी व अपूर्ण और अन्य अस्पष्ट है।
पत्र में कहा गया है कि जल्दबाजी के कारण इन तीनों अधिकारियों के साथ अन्याय पूर्ण तरीके से उनके पद से राज्य सरकार द्वारा निलंबित कर दिया गया ।
सबसे पहले जांच में जो खरीद घोटाले का पैसा इन तीनों अधिकारियों के खाते में या उनके घर परिवार में किसी भी प्रकार की कोई रिकवरी या कोई रिपोर्ट नहीं मिली है और इसके बावजूद राज्य सरकार ने इन तीनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
समाचार पत्रों सोशल मीडिया में इन तीनों अधिकारियों का समाचार पूरे देशवासियों ने देखा व पढ़ा ऐसे में अधिकारियों के मित्र, रिश्तेदार व अन्य ने पढ़ने के बाद इन अधिकारियों की स्थिति अजीबो गरीब हो जाती है जो की अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ भी नजर मिलाने में असहज हो जाती है।
और अपूर्ण जांच होने के कारण इन अधिकारियों का निलंबन जैसी कार्रवाई हो जाने पर पूरी जिंदगी पूरा भविष्य जो समाचार फैलने के कारण का भविष्य अंधकार कर दिया गया ।
अरुण भदोरिया एडवोकेट ने अपने इसी पत्र में सन 2021 में उत्तराखंड में हरिद्वार में लगे कुंभ मेला में कोविद-19 के दौरान हुई गड़बड़ी को लेकर ठीक इसी तरह तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार द्वारा अपूर्ण जांच करते हुए एक ईमानदार तत्कालीन कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी अर्जुन सिंह सेंगर व अन्य को निलंबित करने की बाबत भी लिखा है कि उन ईमानदार अधिकारी श्री अर्जुन सिंह सेंगर पर अपूर्ण जांच के कारण निलंबित होने और अपने और अपने मित्रों रिश्तेदारों के बीच अपमान का एहसास करते हुए उनका हार्ट अटैक हुआ उनके स्टंट डाले गए ।
डॉक्टर अर्जुन सिंह सेंगर का अपने सर्विस काल में प्रमोशन निश्चित था और अपूर्ण जांच होने के कारण निलंबित रहने के कारण प्रमोशन नहीं हो पाया और 4 साल तक जांच चलती रही।
अर्जुन सिंह सेंगर को किसी उच्च पद पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर नियुक्त नहीं किया गया और दिसंबर 2024 में उनका रिटायरमेंट हो गया और रिटायरमेंट से कुछ ही दिन पूर्व उसे अपूर्ण जांच जिसमें मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार की रिपोर्ट पर निलंबित कर दिया गया था।
जब वह जांच पूर्ण विभाग व ED के द्वारा की गई तो अर्जुन सिंह सेंगर को क्लीन चिट दी गई. मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार द्वारा उक्त जांच किस प्रकार की गई थी जैसे कोविड की बीमारी पिछले कई वर्षों से लगातार साल में कुछ महीने होती रही हो और उसका अनुभव अधिकारियों को बहुत होता रहा हो जबकि यह बीमारी सन 2021 में हिंदुस्तान में आई तो कोई भी अधिकारी इस बीमारी के बारे में नहीं जानता था ।
अर्जुन सिंह सेंगर के द्वारा तो राज्य सरकार की ओर से होने वाले भुगतान को रोका गया यदि ना रोका जाता तो राज्य सरकार का बहुत अधिक नुकसान होता ।
सच्चाई तो यह है इन सब के बावजूद ईमानदार अधिकारी डॉ अर्जुन सिंह सेंगर द्वारा 4 वर्ष का काल किस प्रकार व्यतीत किया होगा यह अर्जुन सिंह सेंगर से अतिरिक्त ना तो कोई समझ सकता है और ना ही कोई बता सकता है परंतु बड़े ही दुखद की बात है कि राज्य सरकार द्वारा उन चार सालों का राज्य सरकार द्वारा अर्जुन सिंह सेंगर कोकोई क्षतिपूर्ति उनको ना तो दी गई और ना ही अपूर्ण झूठी जांच करने वाले अधिकारी के खिलाफ जिसने अर्जुन सिंह सेंगर का भविष्य पूर्ण रूप से समाज में अंधकार में कर दिया उसके खिलाफ कोई कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा ही की गई
और इसी को आधार देखते हुए एडवोकेट अरुण भदोरिया ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार व प्रमुख सचिव मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार को इन तीनों अधिकारियों के निलंबन को वापस लिए जाने के लिए पत्र भेजा है।
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