Sahab Shri Harindranand की अस्थियां गंगा में विसर्जित, हजारों श्रद्धालुओं ने दी श्रद्धांजलि
हरिद्वार। शिव शिष्य परिवार के संस्थापक साहब श्रीहरीन्द्रानन्द का अस्थि कलश नमामि गंगे घाट, चंडी पुल हरिद्वार पर पूर्ण विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा में विसर्जित किया गया गया।
बिहार, झारखंड, बंगाल,और आसाम से हजारों की संख्या पहुंचे भक्तों ने अपनी शुभकामनाएं दी।
खास खबर हरिद्वार पुलिस की मुस्तैदी हरियाणा से लूट कराए बदमाश यहां आकर फंसे
इस मौके पर मनोज शुक्ला ने बताया कि साहब श्रीहरीन्द्रानन्द का निधन 4 सितम्बर 2022 को रांची में हुआ था। उनकी अस्थियों को लेकर हजारों की संख्या में भक्त हरिद्वार आये थे।
रविवार को चंडीघाट पर अस्थियां मां गंगा में विसर्जित की गई। इस मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उनके भक्तों ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने बताया कि साहब श्री हरिन्द्रानंद मूलतः बिहार के सिवान जिले के अमलोरी गांव के रहने वाले थे।
श्रीहरीन्द्रानन्द का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को हुआ था।
बचपन से अज्ञात को ज्ञात करने की चाहत ने उन्हें आध्यात्मिक अन्वेषण की ओर प्रवृत्त किया।
लिहाजा नवंबर 1974 की एक रात आरा के गांगी श्मशान में उनके भीतर आत्मदीप्त चेतना जागृत हुई कि गुरु अगर परब्रह्म हैं तो परब्रह्म स्वयं गुरु क्यों नहीं ?
उन्होंने तत्क्षण भगवान शिव को गुरु मान लिया और यहीं से चल पड़ी उनकी आध्यात्मिक यात्रा।
आज उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर करोड़ों लोगों ने शिव की शिष्यता ग्रहण की और पाया कि सचमुच शिव नाम के ही नहीं काम के भी गुरु हैं।
बिहार प्रशासनिक सेवा के संयुक्त सचिव के पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद पूरी तरह से शिव शिष्यता का अलख जगाने के लिए समर्पित हो गए थे।
अस्थि विसर्जन में उनके पुत्र अर्चित आनंद ,अभिनव आनन्द पुत्री अनुनिता पुत्रबधु बरखा सिन्हा ,निहारिका डॉ अमित कुमार एवं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के प्रमुख आशीष गौतम जी,
संजय चतुर्वेदी जी, मनोज शुक्ल, सुनील पांडेय (पार्षद) , अर्पित मिश्रा, वैराग्य वर्धन जी सहित हजारों की संख्या में शिव शिष्य एवम शिष्या उपस्थित थे।
More Stories
IPS Lokeshwar Singh अब UN के इस संगठन में देंगे अपनी सेवाएं
Juna Akhada- पवित्र छड़ी यात्रा पहुंची दक्षेश्वर महादेव मंदिर
धर्म रक्षा को बलिदान हुए करोड़ों हिन्दुओं का सामूहिक तर्पण