Haridwar। शारदापीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य swami Swaropanand Sarswati के ब्रह्मलीन होने की खबर के बाद हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में सन्नाटा पसर गया है।
हरिद्वार के कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में हालांकि बहुत कम संत है लेकिन शंकराचार्य जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार पाकर वे शोकाकुल हो गए।
धर्मनगरी हरिद्वार में शंकराचार्य के निधन से संत समाज मे भी भारी दुःख है।
निरंजनी पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने इसे सनातन धर्म की बड़ी क्षति बताया
उन्होंने सन्यास परम्परा में शंकराचार्य के महत्व को बताते हुए कहा कि आज पूरा संत समाज इस क्षति से आहत है।
वही महानिर्वाणी अखाड़े के श्री महंत रविंद्रानंद ने शंकराचार्य जी के साथ जुड़ी हुई यादों को साझा करते
हुए उनके उच्च ज्ञान ओर सरल स्वभाव से जुड़े वाकये साझा किए।
शकराचार्य मठ के केअर टेकर ओर शंकराचार्य के शिष्य श्रवन्नानन्द ब्रह्मचारी ने बताया कि वे 2021 में हरिद्वार कुम्भ में आये थे उसके बाद से वे हरिद्वार नही आ पाए।
उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ जाते समय वे हरिद्वार प्रवास करते थे।
आपको बता दे की शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती स्न्त्रवतन्त्रता सेनानी,
रामसेतु रक्षक, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने वाले तथा रामजन्मभूमि के
लिए लम्बा संघर्ष करने वाले, गौरक्षा आन्दोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद् के प्रथम अध्यक्ष, पाखण्डवाद के प्रबल विरोधी रहे थे।
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