Karvachauth fast on 13 October moon will rise at 7.55 pm
हरिद्वार- भारत के प्रसिद्ध ज्योतिष संस्थानों मे एक ब्रज किशोर ज्योतिष केंद्र, प्रताप चौक, सहरसा, बिहार के संस्थापक ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा ने बताया हैँ
हिंदू धर्म में करवाचौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है,
इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा,
मिथिला पंचांग के अनुसार,कृष्ण पक्ष चतुर्थी 12 अक्टूबर बुधवार को रात्रि मे 02.05 मिनट पर प्रारम्भ होगा
13 अक्टूबर 2022 को रात्रि मे 02.56 मे समाप्त होगा, इसलिए करवाचौथ 13 को ही मनाया जायेगा,
गुरुवार को करवा चौथ पर रोहिणी और कृतिका नक्षत्र के साथ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है.
इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे, चंन्द्रोदय 07.55 संध्या मे होगा,
चंन्द्रोदय तदोपरांत व्रती महिला चलनी से चन्द्रमा देख अर्घ दें और पति का चेहरा देखे एवं उनके हाथो पानी पीकर व्रत खोले तो लाभप्रद होगा!
पूजन विधि
करवा चौथ मे व्रती चन्द्रमा, शिव पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोंडशोपचार विधि से विधिवत करके एक मिट्टी के पात्र मे चावल,
उड़द दाल, सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी,इत्यादि एवं रूपया रखकर उम्र मे बड़ी सुहागन महिला के पाँव छूकर उन्हें भेट करें, एवं आशीर्वाद प्राप्त करें!
करवाचौथ शुरू करने वाली नवविवाहिता को 13 करवा या कलश स्थापना कर पूजा करनी चाहिए!
करवा चौथ का व्रत वैसे एक बार शुरू करने के बाद पति के जीवित रहने तक किया जाता है
लेकिन किसी कारणवश अगर यह व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर देना चाहिए,
करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है!
परिवार की सुख-समृद्धि, संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से ये व्रत हो तो उत्तम होता हैँ !
व्रत कथा
एक समय इंद्रप्रस्थ नामक स्थान पर वेद शर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी लीलावती के साथ निवास करता था।
उसके सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी। युवा होने पर वीरावती का विवाह कर दिया गया।
जब कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आई तो वीरावती ने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत रखा,
लेकिन भूख प्यास सह नहीं पाने के कारण चंद्रोदय से पूर्व ही वह मूर्छित हो गई।
बहन की यह हालत भाइयों से देखी नहीं गई तो भाइयों ने एक पेड़ के पीछे से जलती मशाल की रोशनी दिखाई और बहन को चेतनावस्था में ले आए।
वीरावती ने भाइयों की बात मानकर विधिपूर्वक अर्घ्य दिया और भोजन कर लिया।
ऐसा करने से कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसी रात इंद्राणी पृथ्वी पर आई।
वीरावती ने उससे इस घटना का कारण पूछा तो इंद्राणी ने कहा कितुमने भ्रम में फंसकर चंद्रोदय होने से पहले ही भोजन कर लिया।
इसलिए तुम्हारा यह हाल हुआ है। पति को पुनर्जीवित करने के लिए तुम विधिपूर्वक करवा चतुर्थी व्रत का संकल्प करो और अगली करवा चतुर्थी आने पर व्रत पूर्ण करो।
इंद्राणी का सुझाव मानकर वीरावती से संकल्प लिया तो उसका पति जीवित हो गया।
फिर अगला करवा चतुर्थी आने पर वीरावती से विधि विधान से व्रत पूर्ण किया, और भी कई सारी कहानियो एवं कीमबदनतिया हैँ,उस दिन से ही करवाचौथ की प्रथा प्रारम्भ हैँ!
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