देहरादून- उत्तराखंड में धामी सरकार ने त्रिवेंद्र सरकार में आयोजित किये गए इन्वेस्टर सबमिट में आये हजारों करोड़ के एमओयू में से केवल 25% को ही कैश कर पाई है.
आपको बता दे कि त्रिवेंद्र सरकार में आयोजित इस इन्वेस्टर सबमिट में कई हजार करोड़ रूपये के एमओयू अलग अलग अलग कंपनियों से किये गए थे.
प्रदेश में पहली बार 2018 में त्रिवेंद्र सरकार ने इन्वेस्टर सब्मिट में एक लाख 20 हजार करोड़ के 601 प्रस्तावों का करार किया था.
जिसमे सरकार ने 45 हजार करोड़ का एमओयू साइन किया था.
यही नहीं इसे राज्य में औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होने का दावा किया गया था.
लेकिन बदले हालातों में सरकार केवल एक चौथाई को धरातल पर उतरने का दावा कर रही है.
औद्योगिक सचिव पंकज पांडेय ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राज्य स्तरीय उद्योग मित्र समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में काम कर रहे उद्योग ही हमारे ब्रांड एम्बेसेडर है।
राज्य सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स फ्रेंडली वातावरण बनाने के लिए बहुत से सुधार किये गये हैं।
इसी का परिणाम है कि पिछले एक वर्ष में 9 हजार करोड़ से अधिक का निवेश राज्य में हुआ है।
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में हम एचीवर्स की श्रेणी मे आए हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर, नीति सुधार व सरलीकरण मे काफी काम किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर सम्भव नीतिगत
व रेगुलेटरी सुधार करने के लिये तत्पर है।
औद्योगिक क्षेत्रों में मैप एप्रूवल सीडा के माध्यम से कराए जाने की औद्योगिक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की मांग पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इसका परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
एमएसएमई के तहत छोटे छोटे औद्योगिक प्लाॅट के ट्रांसफर की प्रक्रिया को सरल किया जाए। मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक रीसाइक्लिंग व वैकल्पिक औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने की नीति बनाने के भी निर्देश दिये।
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