देहरादून- उत्तराखंड की राजनीति में हरिद्वार का हमेशा से ही चर्चा का विषय बना रहा है. चाहे फिर वह राजनीतिक दलों के लिए पदाधिकारियों का चयन करने की चुनौती हो या फिर पार्टी के उम्मीदवारों की बात है. हमेशा से राजनीतिक दलों को कशमकश से गुजरना पड़ता है. सत्तारूढ़ भाजपा की जाए तो 2024 के लक्ष्य को देखते हुए पार्टी पदाधिकारियों की तैनाती की जा रही है.
खास खबर-पटवारी भर्ती परीक्षा लीक मामले में यह जानकारी चौंकाने वाली है
हरिद्वार की बात करें तो जातीय समीकरण को दरकिनार करते वैश्य समाज को जिलाध्यक्ष सौंपा गया. हालांकि इसके लिए हम काफी लंबा मंथन का दौर चला मंथन के दौर में माना जा रहा था कि हरिद्वार से पंजाबी समाज के खाते में यह पद आ सकता है. लेकिन शह और मात के खेल में बाजी वैश्य समाज के हाथ लगी.
इन सब के बीच अब महिला मोर्चा के जिला अध्यक्षों का मनोनयन किया जाना है. जिसको लेकर जातीय समीकरण के फार्मूले पर माथापच्ची चल रही है. हालांकि इस रेस में कई ऐसे नाम है जो जातीय समीकरण से इतर अपनी दावेदारी कर रहे हैं. पार्टी की हरिद्वार में गुट और धड़े को दरकिनार करते हुए जातीय समीकरण के साध 2024 के लक्ष्य को पार पाने की कोशिश होगी. हालांकि भाजपा थिंक टैंक जातिगत एवं परंपरागत वोट समीकरणों के आधार पर लिए गए निर्णय से सभी सहमत होते हैं. लेकिन कई बार कार्यकर्ताओं की भावनाएं हाईकमान के निर्णय के साथ मैच नहीं कर पाती जिसका विपरीत परिणाम देखने को मिलते रहे हैं. हाल ही में रुड़की जिला अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर पंजाबी समाज की उपेक्षा करने का आरोप भी लगा, लेकिन विरोध को दरकिनार किया गया, जबकि वास्तिवकता है कि राजनीति में सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता है बारी सभी की आती है, लेकिन पंजाबी समाज जो कि भाजपा की रीड की हड्डी के रूप में पहचानी जाती है उसकी उपेक्षा करना भाजपा हाईकमान को भारी भी पड़ सकता है,
वर्तमान परिदृश्य में भाजपा वोट बैंक जातीय समीकरण के आधार पर बड़ा है उत्तराखंड राज्य में महिलाओं में जो भाजपा की पेठ है वह चुनावी सरगर्मियां में दिखाई देती रहती है उसी के मद्देनजर भाजपा महिला विंग को जातीय राजनीति के गुणा भाग से देख कर भी नेता चुनती है जिसके चलते महिला मोर्चा में भाजपा के प्रति अलग ही उत्साह दिखता है ,भाजपा जिला अध्यक्ष के हाल ही में मनोयन हुए हैं अब अति शीघ्र भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष की घोषणा की बारी है चर्चा ऐसी भी है पार्टी महिला मोर्चा की कमान वैश्य समाज की झोली में डालने जा रही है जो हरिद्वार की पावर बैलेंस बिगड़ सकती है. ऐसे में भाजपा के एक वर्ग को खुश करने की कोशिश में हरिद्वार में पार्टी के जातीय समीकरण को गड़बड़ा सकती है. वोट बैंक के तौर पर एक बहुत बड़ा प्रतिशत महिला भाजपा का पारंपरिक वोट बन चुका है ऐसे में भाजपा पार्टी फूंक फूंक कर कदम रखेगी, बहुत ही जल्द भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षों की घोषणा होगी जिसमें पंजाबी समाज के साथ ब्राह्मण समाज उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है. बिरादरी के उम्मीद टूटने की स्थिति में भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी. हरिद्वार की बारी आती है तो जातीय समीकरण भाजपा को खासा परेशान करता है भाजपा भी ऐसा कोई खतरा शायद ही उठाए, 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए जातीय समीकरण का आंकड़ा जरूर दुरुस्त करना चाहेगा.
*विवादों से गहरा नाता*
भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष यह घोषणा जल्दी होने जा रही है ऐसे में माना जा रहा है कि बनिया समाज से रीमा गुप्ता का मनोनयन हो सकता है हालांकि रीमा गुप्ता का दावा भाजपा में मजबूत बताया जा रहा हो लेकिन सामाजिक स्थिति में उन पर कई तरह के दाग है.
मंदिर पर कब्जे का आरोप!*
जानकारी के अनुसार मधु विहार कॉलोनी जमालपुर कला में रहती है वहां मोहल्ले के लोगों ने मिलकर एक मंदिर का निर्माण कराया और जब वह मंदिर बनकर तैयार हो गया रीमा गुप्ता और उनके पति की निगाह उस मंदिर पर टेढ़ी हो गई और वे उस मंदिर की संपत्ति को खुर्द बुर्ज करने में लग गए यहां तक कि मंदिर मधुरेश्वर महादेव में होने वाले विकास कार्यों को भी वह करने नहीं देना चाहती इसको लेकर उनकी मोहल्ले वालों से ही विवाद चल रहा है और उनके खिलाफ कनखल थाना क्षेत्र और जगजीतपुर में भी रिपोर्ट तक दर्ज है तथा जिला प्रशासन में अनेक जगह पर उनकी शिकायतें तक दर्ज है, ऐसे में जो भाजपा स्वच्छता की बात करने वाली भाजपा को अगर दांत पसंद है तो फिर उसका खामियाजा भी भुगतनी को तैयार रहना होगा.
More Stories
Suresh Joshi का दावा – 2027 उत्तराखंड में भाजपा फिर बनाएगी सरकार
IPS Lokeshwar Singh अब UN के इस संगठन में देंगे अपनी सेवाएं
Cough Syrup – राजस्थान-मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग, एडवाइजरी लागू