महायोगी पायलट बाबा का पार्थिव शरीर बुधवार को हरिद्वार स्थित उनके आश्रम पहुंचा, जंहा पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए बड़ी संख्या में संत और अनुयायी पहले से ही मौजूद थे।
वायु सेना में रहते हुए आसमान की ऊंची उड़ान को छोड़ सन्यासी बने पायलट बाबा ने देश ही नही अपितु विदेशो में भी सनातन का परचम ऊंचा किया।
खास खबर – आसमान पर राज करने वाले व्यक्ति ने क्यों उठाया सनातन का झण्डा
आज भारत ही नही पूरी दुनिया के कोने कोने में उनके भक्त उनके बताए रास्ते पर चल रहे है।
बाबा का विश्व शांति के लिए चलाया गया अभियान आज भी उनके बताए हुए मार्ग पर निरंतर गतिमान है।
पायलट बाबा के अनन्य एवं सबसे प्रिय माने जाने वाले शिष्य सुनील सैनी ने बताया बाबा का जन्म बिहार के सासाराम में हुआ।
उन्होंने बताया कि महायोगी पायलट बाबा ने विज्ञान की पढ़ाई की , भारतीय एयर फोर्स मैं बतौर पायलट एवं विंग कमांडर का पद हासिल कर 1961,19 65 ,1971 में चीन और पाकिस्तान की सेना के साथ कुशलता से लड़ाई लड़कर अपने ग्रीन पायलट होने का गौरव प्राप्त किया।
सुनील बताते है कि विश्व शांति के लिए देश में अमन चैन लाने के लिए एवं सनातन की रक्षा के लिए 1974 में पायलट का पद त्याग कर जूना अखाड़े में सन्यासी बनने का संकल्प लिया।
बाबा जी ने निरंतर 100 से अधिक देशों में जूना अखाड़े में रहकर सनातन का प्रचार प्रसार किया और लाखों अनुयाई बनाएं।
1998 आपको कुंभ मेले में महामंडलेश्वर की उपाधि से सुशोभित किया गया।
सैनी बताते है कि बाबा ने अनेकों राज्यों में भू समाधि, जल समाधि लगाने का रिकॉर्ड बनाया।
बाबा शिव तत्व हे भगवान शंकर के बहुत बड़े भगत रहे,
सुनील सैनी ने बताया कि बाबा हमारे लिए हमेशा जीवंत रहेंगे एवं हमारे हृदय में हमेशा रहेंगे।
More Stories
Ardhkumbh2027 को लेकर संतों का बड़ा ऐलान
Haridwar Ramleela – ध्वजारोहण के साथ रामलीला की गतिविधियां शुरू
Uttrakhand Drugs फर्जी फर्म के नाम पर चल रहा नकली दवाओं का धंधा