October 15, 2025

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Vishv Sanatan pith's increge budget 500 to 1000 crore

विश्व सनातन पीठ – लागत 500 से बढ़ कर ही 1000 करोड़

“विश्व सनातन महापीठ” – 500 नहीं अब 1000 करोड़ की लागत से बनेगा

जिसमें बनेगा विश्व का प्रथम सनातन संसद भवन एवं सबसे बड़ा गुरुकुल।

हरिद्वार, । विश्व सनातन पीठ के बनने का बजट अब 500 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ कर दिया गया है।

तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार के तत्वावधान में बनने वाला महाप्रकल्प “विश्व सनातन महापीठ” में इस युग का सबसे विशाल, पवित्र और युगप्रेरक धार्मिक-सांस्कृतिक महाप्रकल्पबनाए जाने का दावा किया गया है।

दवा यह भी है कि यह केवल एक स्थापत्य नहीं, बल्कि “धर्म, शिक्षा और मानवता के पुनर्जागरण” का केंद्र होगा, जहाँ से विश्व को एक बार पुनः वैदिक ज्ञान, संस्कृति और एकात्मता का संदेश मिलेगा।

Vishv Sanatan pith's increge budget 500 to 1000 crore आगामी 21 नवम्बर को हरिद्वार की पावन भूमि पर “विश्व सनातन महापीठ” का उद्घोषणा एवं शिला पूजन समारोह भव्य दिव्यता के साथ संपन्न होगा।

यह आयोजन केवल एक प्रारंभिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि “युग परिवर्तन की आध्यात्मिक घोषणा” होगी — जहाँ से भारत का सनातन स्वरूप पुनः विश्व नेतृत्व की दिशा में अग्रसर होगा।

इस महाप्रकल्प की प्रारंभिक अनुमानित लागत ₹500 करोड़ आंकी गई थी, किंतु बढ़ती परिकल्पना, दिव्य भव्यता और व्यापक संरचना को ध्यान में रखते हुए अब इसे ₹1000 करोड़ का वैदिक-सांस्कृतिक महाप्रकल्प घोषित किया गया है।

यह वृद्धि इस बात का प्रतीक है कि महापीठ अब केवल भारत का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता का केंद्र बनने जा रहा है।
महापीठ में विश्व का सबसे अद्वितीय गुरुकुल स्थापित किया जाएगा।

विश्व सनातन महापीठ की प्रमुख विशेषताएँ —
विश्व का प्रथम “सनातन संसद भवन”, जहाँ धर्म, नीति और संस्कृति पर वैश्विक विमर्श होंगे।
वेद मंदिर एवं वेदाध्ययन केंद्र, जहाँ वैदिक ज्ञान का पुनर्जागरण होगा।
चार शंकराचार्य पीठों एवं तेरह अखाड़ों के प्रेरणा परिसर।
सिख, जैन, बौद्ध, आर्य समाज, रविदास आदि परंपराओं के एकता प्रांगण, जहाँ सभी महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित की जाएँगी।
108 तीर्थ स्वरूप परिक्रमा पथ, जो भारत के तीर्थ भाव का जीवंत प्रतीक बनेगा।
गौसंवर्धन केंद्र — जहाँ वेदसम्मत गोपालन का आदर्श प्रस्तुत होगा।
108 यज्ञशालाएँ, 108 संत कुटियाएँ और 1008 भक्त आवास परिसर।
सनातन टाइम म्यूज़ियम, जो वैदिक काल से वर्तमान तक की भारत की सांस्कृतिक यात्रा को सजीव रूप में प्रदर्शित करेगा।
शस्त्र एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण केंद्र, जहाँ प्रतिवर्ष “एक लाख धर्मयोद्धाओं” का प्रशिक्षण होगा।
1000 क्षमता का ध्यान केंद्र और अन्नपूर्णा भोजनालय — जहाँ शांति, सेवा और संतुलन का संगम होगा।

तीर्थ सेवा न्यास के संरक्षक परमाध्यक्ष बाबा हठयोगी जी महाराज ने कहा कि “विश्व सनातन महापीठ केवल पत्थर और संरचना का प्रकल्प नहीं, यह भारत की आत्मा का पुनरुत्थान है।

यहाँ से धर्म, सत्य और करुणा की ज्योति विश्व को आलोकित करेगी। यह भारत के वैदिक तेज का पुनर्जन्म है।”

तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज ने कहा कि “महापीठ वह केंद्र बनेगा जहाँ से ‘एक विश्व – एक धर्म – एक ध्वज, एक ग्रंथ, एक विधान’ का आदर्श सपना साकार होगा।

यह केवल भारत की नहीं, सम्पूर्ण मानवता एवं विश्व की आवश्यकता है। यहाँ शिक्षा, सेवा और साधना का संगम होगा, जो आने वाले युगों का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

डॉ. गौतम खट्टर ने कहा कि “विश्व सनातन महापीठ भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केंद्रबिंदु होगा। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भी मानवता के उत्थान का अद्वितीय केंद्र बनेगा।”

महामन्त्री महन्त ओमदास एवं राष्ट्रीय समन्वयक शिशिर चौधरी ने कहा कि “यह प्रकल्प सनातन एकता का प्रतीक है।

भारत के सभी मत, पंथ, संप्रदाय और परंपराएँ यहाँ एक सूत्र में बंधकर विश्व के लिए आदर्श प्रस्तुत करेंगी।”

“विश्व सनातन महापीठ भारत के आत्मस्वरूप की मूर्त परिकल्पना है। प्रत्येक सनातन प्रेमी, साधक और नागरिक इस निर्माण यात्रा का भाग बने, यही युगधर्म की सच्ची सेवा है।”
इस दौरान न्यास के उपाध्यक्ष अशोक कुमार सोलंकी, राजेश कुमार, गजेन्द्र सिंह, गंगा सिंह सम्मल, अभिषेक शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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