December 30, 2024

24x7breakingpoint

Just another WordPress site

World sparrow Day: हरिद्वार के छात्र की अनोखी मुहीम की कर रहे सब तारीफ

हरिद्वार । World sparrow Day- छात्र ने इस चिड़िया को बचाने के लिए शुरू किया अभियान

एस एम जे एन पी जी (SMJNPG) कालेज के बी काम दिव्तीय वर्ष के छात्र अक्षत त्रिवेदी ने गौरैया संरक्षण के लिए एक अलख जगायी है।

वह पिछले एक वर्ष से गौरेया के लिए घौंसलें बना कर विभिन्न स्थानों पर लगा कर गौरेया संरक्षण में अपना अभूतपूर्व योगदान दे रहा है।

इसी कड़ी में आज अक्षत त्रिवेदी ने महाविद्यालय परिसर में जगह-जगह गौरैयों के लिए गौरैया गृह (घोंसला) लगवाया।

इस अवसर पर आज विश्व गौरेया दिवस के पूर्व दिवस पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष एवं कालेज प्रबंधन समिति के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी, कालेज के प्राचार्य एवं हिमालय क्लब के अध्यक्ष डॉ सुनील कुमार बत्रा, डॉ विजय शर्मा पर्यावरण विद एवं विनीत सक्सेना ने अक्षत त्रिवेदी को इस सराहनीय कार्य के लिए स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया।

.
इस अवसर पर श्री महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि गौरेया विलुप्त प्राय सी हो गईं हैं।

शहरीकरण एवं पेड़ों के कटने से घरों के आंगन में फुदकने और चहकने वाली गौरेया देखने को नहीं मिल रही है।

ऐसी स्थिति में गौरेया-संरक्षण के लिए यह कदम एक मिसाल कायम करेगी।

उन्होंने कालेज के पर्यावरण प्रकोष्ठ के अन्तर्गत चलायी जा रहीं इस मुहीम की भूरि भूरि प्रशंसा की।

महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि गौरेया संरक्षण के लिए कालेज के पर्यावरण प्रकोष्ठ के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों , स्थानों में घोसले लगवाये जायेगें।

महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि पशु-पक्षियों को ईश्वर ने मनुष्यों से पहले बनाया. ईश्वर ने मनुष्यों को विचारशील बनाया।

ताकि मनुष्य जीव-जंतु , पशु-पक्षियों, नदी-तालाबों आदि का संरक्षण कर सके. पशु-पक्षियों एवं जीव-जंतु के साथ मानव का गहरा संबंध है।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गौरेया एक छोटी पक्षी नहीं यह हमारे साहित्य, कला व संस्कार में रची बसी है।

आज इसकी संख्या समाप्त हो रही है जो समाज विशेषकर पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक है इसके संरक्षण, संवर्धन की जिम्मेदारी प्रत्येक मानव की है।

अक्षत त्रिवेदी के द्वारा गौरेया संरक्षण के लिए किया जा रहा यह कदम अत्यंत ही महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण विद डॉ विजय शर्मा ने बताया कि गौरेया की विलुप्तता का मुख्य कारण कीट नाशकों का उपयोग, अंधाधुंध शहरीकरण, पक्षियों के प्रति संवेदनहीनता व पेड़ पौधों की कटाई है। इससे हम सभी को बचना है।

About The Author