November 24, 2025

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Guru Teg Bahadur Singh 2 days symposium organised in sanskrat university Haridwar

Guru Teg Bahadur Singh 350 वी जयंती पर जुटी बड़ी हस्तियां

Guru Teg Bahadur Singh – 350 वीं बलिदान दिवस पर पहुंचे उत्तराखंड राज्यपाल

Guru Teg Bahadur Singh का त्याग केवल एक धर्म की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए था – राज्यपाल

संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय विचार गोष्ठी

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विवि की ओर से संस्कृत अकादमी में गुरु तेगबहादुर सिंह के 350वें बलिदान दिवस पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर मुख्य अतिथि राज्यपाल (ले.ज) सेवानिवृत्त गुरुमीत सिंह ने कहा कि श्रीगुरु तेगबहादुर का त्याग केवल एक धर्म की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज की स्वतंत्रता के लिए था।

उनका संदेश जन-जन तक पहुँचना बहुत आवश्यक है, तभी समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव है।

Guru Teg Bahadur Singh 2 days symposium organised in sanskrat university Haridwar राज्यपाल गुरुमीत सिंह ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृत विवि की गुरु गोविंद सिंह शोधपीठ ने गुरु गोविंद सिंह, चार साहिबजादों और गुरु तेगबहादुर सिंह पर तीन किताबें लिखकर महान कार्य किया गया है।

गुरु तेगबहादुर के जीवन से पूरे समाज को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुर ने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।

Guru Teg Bahadur Singh 2 days symposium organised in sanskrat university Haridwar उस समय समाज में अत्याचार बढ़ रहे थे और कश्मीरी पंडितों पर हो रहा अत्याचार किसी से छिपा नहीं था।

उन्हीं के संरक्षण के लिए गुरु तेग बहादुर ने अत्याचारी शक्तियों के विरुद्ध आवाज उठाई और अपने प्राण न्योछावर किए।

राज्यपाल ने गुरु साहिब की धर्म-निरपेक्ष सोच और मानवता को सर्वोपरि रखने की उनकी सीख का विशेष उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि जिस दौर में देश पर अत्याचारों का बोझ बढ़ रहा था, उस कठिन समय में माता गुजरी ने असाधारण साहस और धैर्य का परिचय दिया।

Guru Teg Bahadur Singh 2 days symposium organised in sanskrat university Haridwar संगोष्ठी में राज्यपाल गुरुमीत सिंह, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि, नरेंद्र सिंह बिंद्रा, संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार,

विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री और विवि के कुलसचिव दिनेश कुमार ने धर्मरक्षक गुरु तेगबहादुर पुस्तक का मंच से विमोचन किया।

विशिष्ट अतिथि श्रीहेमकुंट साहब समिति ऋषिकेश के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि राज्यपाल गुरमीत सिंह स्वयं एक सैनिक रहे हैं, इसलिए वे बलिदान की भावना को भली-भांति समझते हैं।

कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा प्रदेश बने जहां ‘शहीदों पर शोध शालाओं’ का निर्माण हो, ताकि वीर शहीदों के इतिहास, योगदान और बलिदान का संकलन, अध्ययन और संरक्षण भावी पीढ़ियों तक पहुँच सके।

उन्होंने गुरु गोविंद सिंह शोधपीठ के शोध कार्यों को भी सराहा। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि आज देश में नए नए नैरेटिव गढ़े जा रहे हैं, ऐसे में श्री गुरु तेगबहादुर के विचारों की परम आवश्यकता है।

इस अवसर पर राज्यमंत्री श्यामवीर सैनी, पंबाजी विवि पटियाल के प्रो. दलजीत सिंह, जम्मु विवि जम्मु कश्वीर के प्रो. जिगर मौहम्मद, चंडीगढ़ विवि के प्रो. जगमोहन, कुरुक्षेत्र विवि के प्रो. रुमेश, प्रो. दिनेश चंद्र चमोला,

अकादमी के सचिव प्रो. मनोज किशोर पंत, डॉ. राम रतन खंडेलवाल डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी, डॉ.अरविंद नारायण मिश्र, प्रो. बिंदुमित द्विवेदी,

डॉ. श्वेता अवस्थी, डॉ. उमेश शुक्ला, डॉ. मीनाक्षी रावत, विवि के एआर संदीप भट्ट, डॉ. अनूप बहुखंडी सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी व छात्र मौजूद रहे।

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