हरिद्वार (विकास चौहान) । हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार श्राद्ध में पितरों की विदाई के बाद शारदीय नवरात्र ( Navratr) का पावन त्यौहार शुरू हो गया है। हरिद्वार में देविओं के मंदिरो का त्रिकोण है जिसमे नील पर्वत पर माँ चंडी देवी का मंदिर है तो दूसरी और शिवालिक पर्वत माला पर माँ मनसा देवी का मंदिर स्थित है| इन दोनों मंदिरो के बीच मायानगरी कहलाने वाले हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माया देवी का मंदिर है। यहाँ के मनसा देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ लगभग पूरे साल ही बनी रहती है लेकिन नवरात्र ( Navratr के दौरान यहाँ भक्तों का रेला देखने लायक होता है।
पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में महिसासुर नामक राक्षस ने देवताओं और मनुष्यों पर भयंकर अत्याचार ढा रखे थे । ऐसे में जब महिसासुर के अत्याचार से सभी दुखी हो गए तब देवताओं आदि के मन में आया कि ऐसी कोई शक्ति का अवतरण होना चाहिए जो महिसासुर नामक राक्षस का संहार कर सके। देवताओं के मन से की गई प्रार्थना पर माँ दुर्गा ने मन से अवतार लिया और महिसासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। माँ दुर्गा के इस स्वरुप का अवतार मन से हुआ था इसीलिए माँ के इस स्वरुप का नाम मनसा देवी पड़ा और माँ मनसा देवी तब ही से शिवालिक पर्वत पर विराजमान है
माँ मनसा देवी मंदिर में नवरात्र में भक्तों का ताँता लगा रहता है। भक्त अपने अपने तरीके से माँ को रिझाने का प्रयास करते है और माँ से जो भी कोई मनोकामना पूरी करने के लिए आता है वे पहले माँ के दरवार में मत्था टेकता है मन्नत का धागा बांधता है और मनोकामना पूरी होने पर भक्तों को इस धागे को खोलने के लिए यहाँ आना पड़ता है । नवरात्र माँ मनसा देवी की पूजा आराधना करने का विशेष लाभ मिलता है और माँ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है और सभी मनोकामनाए पूरी करती है
धर्म नगरी हरिद्वार का ये मनसा देवी मंदिर विश्वप्रसिद्ध है दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ माता के लिए दर्शन करने आते है और उनकी मनोकामना भी जरूर पूरी होती है और यही वजह है कि दिनों दिन यहाँ पर श्रद्धालुओं का संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
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