हरिद्वार(अरुण शर्मा)। उत्तराखंड के छात्रवृत्ति घोटाले में अब तक विधायक के भाई सहित हुई तीन गिरफ्तारी के बाद अधिकारीयों पर भी शिंकजा कसा जाने की तैयारी शुरु हो गयी हैं। घोटाले की जांच में जुटी जुटी एसआइटी ने अब उस समय के जिला समाज कल्याण अधिकारियों की घेराबंदी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार एसआईटी ने 2010 से 2016 के बीच हरिद्वार जनपद में तैनात रहे अधिकारियों का कच्चा चिट्ठा तैयार कर लिया है।
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छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में जुटी एसआइटी ने अपनी पड़ताल में तेजी लाते हुए अभी तक तीन लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी की हैं। तेजी से चल रही जांच की आंच अब उस समय के समाज कल्याण अधिकारी पर भी पड़ती हुई दिखायी दे रही है। जानकारी के अनुसार जांच में छात्रवृति घोटाले का असली खेल 2010 से 2015 के बीच ही खेला गया। जिसमें कॉलेज संचालकों, अधिकारियों और कुछ नेताओं ने मिलकर बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति की जमकर बंदरबांट की है। आपको बता दें कि एसआइटी अभी तक पांच कॉलेजों में करीब 23 करोड़ रुपये का गड़बड़झाला पकड़ चुकी है।
जानकारी के अनुसार इस जांच की तपीश अब तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारियों तक भी पहुंच सकती हैं। दरअसल जांच में पांच कॉलेजों में समाज कल्याण विभाग नियमों को ताक पर रखकर करोड़ो रुपये बांट दिये। आलम यह रहा कि इन कॉलेजो में एक कॉलेज जांच में खंडहर पाया गया। पूरे घोटाले में वर्ष 2010 से वर्ष 2016 तक हरिद्वार जनपद में तैनात रहे समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। इनमें कुछ रिटायर्ड भी हो चुके हैं।
एक पूर्व मंत्री के चहेते दो अधिकारी इस खेल के बड़े खिलाड़ी रहे हैं। एसआइटी के प्रमुख मंजूनाथ टीसी का कहना है कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है और जांच में जो भी दोषी पाया जायेगा उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। बहरहाल इस मामले में अधिकारीयों की गिरफ्तारी की संभावनाएं बढ़ गयी हैं।
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