देहरादून(ब्यूरो)। उत्तराखंड में गैरसैंण एक बार फिर से राजनितिक चर्चा का विषय बना हुआ हैं। 4 दिसंबर से देहरादून में होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं। दरअसल आंकड़े भी त्रिवेंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही हैं। त्रिवेंद्र सरकार के इस कार्यकाल में केवल एक बार ही गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित किया गया हैं।
यही नहीं 2014 से लेकर अब तक यह पहला मौका है जब साल में एक भी सत्र गैरसैंण में नही कराया गया। इस मामले में कांग्रेस के हरीश रावत सबसे अव्वल रहे उन्होने रिकार्ड तीन बार गैरसैंण में सत्र का आयोजन कराया। बहरहाल इतना जरुर है कि इस सत्र में कांग्रेस इसी मुददे पर सरकार को घेरने की तैयारी जरुर कर रही होगी।
लंबे समय से चमोली जनपद में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनने की मांग उठ रही है। वहीं अक्सर इस मुद्दे पर सूबे की सियासत गर्माई रहती है। आज भले ही उत्तराखंड को बनने 19 साल पूरे हो गए हों लेकिन ये उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही है कि इन 19 सालों में उत्तराखंड को अपनी स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है । गैरसैंण और देहरादून के बीच में आज तक उत्तराखंड अपनी स्थाई राजधानी से महरूम है।
त्रिवेंद्र के विधायकों को लगती है ठंड
सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी 4 दिसंबर विधानसभा का शीतकालीन सत्र देहरादून में आयोजित होगा। सीएम त्रिवेंद्र ने गैरसैंण में सर्दी का हवाला देते हुए कहा कि कई विधायक वरिष्ठ है और पिछला अनुभव सही नहीं रहा था इस कारण यह सत्र देहरादून में आयोजित कराया जा रहा हैं।
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