हरिद्वार(कमल खड़का)। उत्तराखंड में चिकित्सा को लेकर भले ही कितने ही दावे किये जाते रहे हो लेकिन मरीजों के प्रति असंवेदहीनता के मामले है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे। ताजा मामला हरिद्वार के मंगलौर क्षेत्र का है जंहा पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात के समय गर्भवती महिला का प्रसव कराने से ही साफ इंकार कर दिया। ऐसे में गर्भवती महिला ने वहीं बिना किसी चिकित्सा के मदद के ही बच्चें को जन्म दे दिया। आनन-फानन में परिजनों ने देर रात निजि अस्पताल में जच्चा और बच्चा को भर्ती कराया लेकिन सुबह होते ही परिजनों के हंगामे के बाद यह खबर आग की तरह क्षेत्र मे फैल गयी। यही नहीं जच्चा-बच्चा दोबारा सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया।
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जानकारी के अनुसार सोमवार रात निजामपुर गांव निवासी गर्भवती अरुणा पत्नी सत्येंद्र को उसके परिजन क्षेत्र के आशा नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के लिए लाए। उस वक्त कोई स्टाफ नर्स ड्यूटी पर मौजूद नहीं थी। ऐसे में गर्भवती को बेड पर लेटाकर आशा स्वास्थ्य केंद्र परिसर में रहने वाली नर्स को बुलाने चली गई। आरोप है कि नर्स ने ड्यूटी पर नहीं होने का तर्क देकर प्रसव कराने से इनकार कर दिया। अचानक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हो गई।
परिजन अस्पताल में डॉक्टर का इंतजार करते रहे। इसके बाद बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के ही महिला ने एक बच्चे को जन्म दे दिया। आरोप है कि नर्स ने बच्चे का प्राथमिक उपचार करने से भी मना कर दिया। यही नहीं अगले दिन जब परिजनों ने केंद्र पर हंगामा किया तो जच्चा-बच्चा को दोबारा भर्ती तो कर लिया लेकिन बाद में उन्हे हायर सेंटर रैफर कर दिया गया।
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